Tuesday, November 7, 2017

भद्रगणितम् - २४।

नारायण पण्डित - गणितकौमुदी -पान ३८०
भद्रगणितम् - २४।

Ref:  http://sanskritdeepika.org/sandharb-sahitya ( http://tinyurl.com/yct7t3rs)

पूर्वोक्तप्रथमोदाहरणे फलम् २६० । अत्र जातावाद्युत्तरौ १।१ यथोक्तकरणेन 
जातमष्टभद्रम् ।


१।३२।४९।५८।    २।३१।५०।४७
५६।४१।८।२५।    ५५।४२।७।२६
१५।१७।६४।३३।  ११।१८।६३।३४
५७।४०।९।२४।   ५८।३९।१०।२३

४।२९।५२।४५।    ३।३०।५१।४६।
५३।४४।५।२८।  ५४।४३।९।२७
१३।२०।६१।३६।  १४।१९।६२।३५
६०।३७।१२।२१।  ५९।३८।११।२२

द्वितीयोदाहरणे प्राग्वज्जातावाद्युत्तरौ, आ ३७/२
उ१ यतौक्तकरणेन जातमष्टभद्रम् ।


३७।९९।१३३।१२१।३९।९७।१३५।१२९
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२।२।२।२।२।२।२।२
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६७।६९।१६३।१०१।६५।२१।१६१।१२३
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२।२।२।२।२।२।२।२
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१४६।११५।५३।८३।१५१।११३।५५।८१
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२।२।२।२।२।२।२।२
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४३।९३।१३९।१२५।४१।९५।१३७।१२७
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२।२।२।२।२।२।२।२
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१४१।१२३।४५।९१।१४३।१२१।४७।८९
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२।२।२।२।२।२।२।२
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६१।६५।१५७।१०७।६३।७३।१५९।१०५
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२।२।२।२।२।२।२।२
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१५५।१०९।५९।७७।१५३।१०१।५७।७९
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२।२।२।२।२।२।२।२
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