प्रवेश II
(स्थान: सड़क। पात्र: भागीरथ और रामलाल)
भगीरथ: (स्वगत) शराब से कोई खुशी नहीं यह सच है; लेकिन शराब एक उदास आत्मा को खुशी का सपना दिखाती है। खासकर! इस पापमय संसार में कभी-कभी दुख का सार कुछ इस तरह पीना पड़ता है। ऐसा लगता है कि यही सत्य है! दुनिया! परमेश्वर! मेरे जैसे किसी युवा के माथे पर अब दुनिया का कड़वा अनुभव मत लिखो और अगर रखना है तो उस बदनसीब आत्मा को अंदर जलाने के लिए एक लंबी उम्र भी मत देना!
(राग- खमाज; ताल- त्रिवत। चाल- सनक मुख विनुत।)
भले ही प्यार टूट गया हो। लेकिन नर रहता है। धुरु .॥
घोर निरायसम। इतनी कठिन दुनिया। अभिशाप दीर्घायु हो। 1
(रामलाल आता है।)
रामलाल: (स्वगत) मैंने उनसे अचानक बात करना शुरू कर दिया और अगर गीता जो कहती है वह सच नहीं है तो- नहीं लेकिन - उसका बयान एक हजार अनुपातसे गलत नहीं है! अभी पूछनेकी बात आती है, तो इस तरह के उपयुक्त व्यक्ति इसके अलावा नहीं मिलेगा, गीताने बताए पांच-सात लोगों में से कोई भी ऐसा नहीं है। मैं इसे थोड़ा जानता हूँ! (खुलकर) नमस्कार भगीरथ!
भगीरथ: ओह! कौन डॉक्टर? आइए! डॉक्टर, मुझे पता था कि आप वापस आ गए हैं, लेकिन मुझे आपके लौटने का कारण नहीं पता!
रामलाल: जैसा कि आप जानते हैं, मैंने पहले कुछ दिन इंग्लैंड में बिताए और फिर अंतिम परीक्षा के लिए जर्मनी जाने के बारे में सोचा। बाद में, जब युद्ध का तूफ़ान छिड़ गया, तो मैने स्वाभाविक रूप से जर्मनी जाने की अपनी योजना रद्द कर दी! मैंने इंग्लैंड में चार या छह महीने बिताए और वापस आ गया।
भगीरथ : देखो कैसी समस्या आती है!
रामलाल: ठीक है, अब जाने दो! भगीरथ, मैं तुम्हारे पास एक कानके लिए आया हूँ। क्या हम हवापानीकी बात शुरू किए बिना सीधे और खुले दिमाग से बोलना चाहता हू?
भगीरथ: बहुत अच्छा बोलो!
रामलाल : देखो तो आप छिपना छिपाना तो नही शुरू करोगे ! नहीं! तो ठीक है! आज शाम हमे आपके मंडली में शामिल कर दो! हम्म, हैरान मत होइए! मुझे सब मालूम है! मुझे अकेले जाने में कोई आपत्ति नहीं है! लेकिन परिचितके साथ जाना अधक उचित है! इसमें मेरे कुछ दोस्त हैं; लेकिन झिझक के कारण कोई कबूल नहीं करना चाहेगा! इसलिए सभीका हवाईजहाज उपर जानेपरही ( पीनेके बाद) उनसे मुलाकात करना ठीक रहेगा।
भगीरथ: डॉक्टर, क्या आप इस संप्रदाय के हैं? मुझे ऐसा नहीं लगता!
रामलाल: पहले नहीं था! लेकिन यह ज्ञान मैंने विदेश जाकर सीखा है! वहा के ठंडे इलाके में आप इस गंदगी के बिना नहीं चल सकते। यहां आने के बाद से इसे आगे बढ़ाना मुश्किल हो गया है। यही रास्ता है! इतना काम करोगे!
भगीरथ: मुझे कोई आपत्ति नहीं है; लेकिन आप वहां के पूरे स्थती को कितना पसंद करेंगे-
रामलाल : क्यो नही पसंद आएगा? अरे, यह चोरोजैसा तो नही लगेगा!
भगीरथ: ठीक है, अब चलते हैं!
रामलाल : शुरू से नहीं! मंडल रंग में आनेके बाद जाना अच्छा है! मेरा मतलब है, किसी और को कोई झिझक नहीं होगी, आपको कोई झिझक नहीं रहेगी!
भगीरथ: चलो वही करते हैं! लेकिन डॉक्टर, मुझे पता नहीं था! यह थोड़ा अजीबसा लग रहा है!
रामलाल: वाह, यह मेरे बारे में अधिक है या आपके बारेमे? कहने का मतलब यह है कि आप बहुत कम आयुके हैं, स्नातक भी हैं - लेकिन आप –
भगीरथ: दुर्भाग्य से मैं पथभ्रष्ट हूँ और मैं इस जाल में फँस गया हूँ! मेरा प्यार दुनिया की शुरुआत से टूट गया है। मैं जिस लड़की से प्यार करता था, उसकी शादी किसी और से कर दी गयी और मैं दुनिया को छोडकर ऐसा फकीर बन गया! लेकिन जाने दो। उस कहानी को बताने के लिए हमारे पास बहुत समय होगा। अभी हम अपनी रास्तेपर चलेंगे!
रामलाल : चलो। (दोनों जाते हैं।) (पर्दा गिर जाता है।)
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