श्री महागणपती सहस्रनाम स्तोत्र जुन्या संस्कृत लिपीमाधये लिहिले असल्याने स्तोत्र वाचताना खालील तक्त्याचा उपयोग करावा.
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श्री महागणपती सहस्रनाम स्तोत्रम्
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अथ श्रीमहागणपति सहस्रनाम स्तोत्रम्
अस्य श्रीमहागणपतिसहस्रनामस्तोत्रमालामन्त्रस्य
गणेश ऋषि:
महागणपतिर्देवता
नानाविधनिच्छन्दांसि
हुमिति बीजम्
तुङ्गमिति शक्ति:
स्वाहाशक्तिरिति कीलकम्
श्रीमहागणपतिप्रसादसिद्ध्यर्थे सहस्रनामस्तोत्रपाठे विनियोग:
ध्यानम्
गजवदनमचिन्त्यं तीक्ष्णदंष्ट्ं त्रिनेत्रं
बृहदुदरमशेषं भूतिराजं पुराणम्
अमरवरसुपूज्यं रक्तवर्णं सुरेशं
पशुपतिसुतमिशं विघ्नराजं नमामि ---१
श्रीगणपतिरुवाच
गणेश्र्वरो गणक्रीडो गणनाथो गणाधिप:
एकदन्तो वक्रतुण्डो गजवक्त्रो महादर: ----१
लमबोदरो धूम्रवर्णो विकटो विघ्ननाशन:
सुमुखो दुर्मुखो बुद्धो विघ्नराजो गजानन: ---२
भीम: प्रमोद आमोद: सुरानन्दो मदोत्कट:
हेरम्ब: शम्बर: शम्भुर्लम्बकरणो महाबल:---३
नन्दनो लम्पटो भीमो मेनादो गणन्जय:
विनायको विरुपाक्षो वीर: शूरवरप्रद: ---४
महागणपतिर्बुद्धिप्रय: क्षिप्रप्रसादन:
रुद्रप्रियो गणाध्यक्ष उमापुत्रोऽघनाशन: ---५
कुमारगुरुरीशानपुत्रो मूषकवाहन:
सिद्धिप्रिय: सिद्धिपति: सिद्ध: सिद्धिविनायक: ---६
अविघ्नस्तुम्बुरु: सिंहवाहनो मोहिनीप्रिय:
कटङ्कटो राजपुत्र: शाकल:संमितोऽित: ---७
कूष्माणडसामसम्भूतिर्दुर्जयो धुर्जयो जय:
भूपतिरभुवनपतिर्भूतानां पतिरव्यय: ---८
गणेश ऋषि:
महागणपतिर्देवता
नानाविधनिच्छन्दांसि
हुमिति बीजम्
तुङ्गमिति शक्ति:
स्वाहाशक्तिरिति कीलकम्
श्रीमहागणपतिप्रसादसिद्ध्यर्थे सहस्रनामस्तोत्रपाठे विनियोग:
ध्यानम्
गजवदनमचिन्त्यं तीक्ष्णदंष्ट्ं त्रिनेत्रं
बृहदुदरमशेषं भूतिराजं पुराणम्
अमरवरसुपूज्यं रक्तवर्णं सुरेशं
पशुपतिसुतमिशं विघ्नराजं नमामि ---१
श्रीगणपतिरुवाच
गणेश्र्वरो गणक्रीडो गणनाथो गणाधिप:
एकदन्तो वक्रतुण्डो गजवक्त्रो महादर: ----१
लमबोदरो धूम्रवर्णो विकटो विघ्ननाशन:
सुमुखो दुर्मुखो बुद्धो विघ्नराजो गजानन: ---२
भीम: प्रमोद आमोद: सुरानन्दो मदोत्कट:
हेरम्ब: शम्बर: शम्भुर्लम्बकरणो महाबल:---३
नन्दनो लम्पटो भीमो मेनादो गणन्जय:
विनायको विरुपाक्षो वीर: शूरवरप्रद: ---४
महागणपतिर्बुद्धिप्रय: क्षिप्रप्रसादन:
रुद्रप्रियो गणाध्यक्ष उमापुत्रोऽघनाशन: ---५
कुमारगुरुरीशानपुत्रो मूषकवाहन:
सिद्धिप्रिय: सिद्धिपति: सिद्ध: सिद्धिविनायक: ---६
अविघ्नस्तुम्बुरु: सिंहवाहनो मोहिनीप्रिय:
कटङ्कटो राजपुत्र: शाकल:संमितोऽित: ---७
कूष्माणडसामसम्भूतिर्दुर्जयो धुर्जयो जय:
भूपतिरभुवनपतिर्भूतानां पतिरव्यय: ---८
विश्र्वकर्ता विश्र्वमुखो विश्र्वरूपो निधिर्गुण:
कवि: कवीनामृषभो ब्रह्मण्यो ब्रह्मवि्प्रिय: ---९
ज्येष्ठराजो निधिपतिरनिधिप्रियपतिप्रिय:
हिरण्मयपुरान्त:स्थ: सूर्यमण्डलमध्यग: ---१०
कराहतिध्वस्तसिनधुसलिल: पूषदन्तभित्
उमाङ्ककेलिकुतुकी मुक्तिद: कुलपावन: ---११
किरीटी कुण्डली हारी वनमाली मनोमय:
वैमुख्यहतदैत्यश्री: पादाहतिजितक्षिति: ---१२
सद्योजात: स्वरणमुञ्जमेखली दुरनिमित्तहृत्
दु:स्वप्रहृत्प्रसहनो गुणि नादप्रतिष्ठित: ---१३
सुरुप: सरवनेत्राधिवासो वीरासनाश्रय:
पिताम्बर: खण्डरद: खण्डवैशाखसंस्थित: --- १४
कवि: कवीनामृषभो ब्रह्मण्यो ब्रह्मवि्प्रिय: ---९
ज्येष्ठराजो निधिपतिरनिधिप्रियपतिप्रिय:
हिरण्मयपुरान्त:स्थ: सूर्यमण्डलमध्यग: ---१०
कराहतिध्वस्तसिनधुसलिल: पूषदन्तभित्
उमाङ्ककेलिकुतुकी मुक्तिद: कुलपावन: ---११
किरीटी कुण्डली हारी वनमाली मनोमय:
वैमुख्यहतदैत्यश्री: पादाहतिजितक्षिति: ---१२
सद्योजात: स्वरणमुञ्जमेखली दुरनिमित्तहृत्
दु:स्वप्रहृत्प्रसहनो गुणि नादप्रतिष्ठित: ---१३
सुरुप: सरवनेत्राधिवासो वीरासनाश्रय:
पिताम्बर: खण्डरद: खण्डवैशाखसंस्थित: --- १४
चित्राङ्ग: श्यामदशनो भालचन्द्रो हविर्भुज:
योगाधिपस्तारकस्थ: पुरुषो गजकर्णक: ---१५
गणाधिराजो विजय: स्थिरो गजपतिर्ध्वजी
देवदेव: स्मर: प्राणदीपको वायुकीलक: ---१६
विपश्र्चिद्वरदो नादो नादभिन्महाचल:
वराहरदनो मृत्युञ्जयो व्याघ्राजिाम्बर: ---१७
योगाधिपस्तारकस्थ: पुरुषो गजकर्णक: ---१५
गणाधिराजो विजय: स्थिरो गजपतिर्ध्वजी
देवदेव: स्मर: प्राणदीपको वायुकीलक: ---१६
विपश्र्चिद्वरदो नादो नादभिन्महाचल:
वराहरदनो मृत्युञ्जयो व्याघ्राजिाम्बर: ---१७
इच्छाशक्तिभवो देवत्राता दैत्यविमर्दन:
शम्भुवक्त्रोद्भव: शम्भुकोपहा शम्भुहास्यभू: --- १८
शम्भुवक्त्रोद्भव: शम्भुकोपहा शम्भुहास्यभू: --- १८